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Original Stories By Author (78): IAS Vs. Union Of India - Part I (Begining)

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra



कहानी 78: An IAS Vs. Union of India

भाग -1 (Begining)

"शांत हो जॉइए। शान्ति रखिये सब लोग" - खचाखच भरे कोर्ट रूम में लगातार हो रही भुनभुनाहट के बीच जज साहब ने लोगो से शांति बनाए रखने की अपील की।
"हाँ तो मिस्टर सर्वज्ञ सिंह, Are you sure to pursue your case Sarwagya Singh, I.A.S Vs. Union Of India through UPSC & Others on your own?" - जज साहब ने पूछा। 
"यस माय लार्ड" - श्रीमान सर्वज्ञ ने हाँ में सिर हिलाते हुए उत्तर दिया।
जज- "ठीक है। कार्यवाही शुरू की जाए"।
और इस प्रकार भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद केस की सुनवाई शुरू हो गई। कोर्ट रूम में पैर रखने तक की जगह न थी और कोर्ट रूम के बाहर Paramilitary Forces ने कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर रखा था। कोर्ट परिसर के बाहर अनगिनत हाथ नकारात्मक स्लोगन वाले बैनर लिए नारेबाजी कर रहे थे। अधिकतर प्रदर्शनकारी युवा या उनके अभिभावक थे। 
केस की Streaming सुप्रीम कोर्ट TV पर लाइव चल रही थी और भारत के लगभग हर न्यूज चैनल पर इससे संबंधित खबरों का प्रसारण लगातार हो रहा था। 
सरकारी अधिवक्ता- "माय लॉर्ड मिस्टर सर्वज्ञ एक धोखेबाज आदमी हैं। इन्होंने Civil Services की परीक्षा में बेईमानी और cheating करके IAS का पद प्राप्त किया औऱ अपने पद का दुरुपयोग करके 14 मासूम लोगो पर गोली चलवाने का आदेश दे कर Culpable Homicide का जघन्य अपराध किया है।UPSC की Internal Investigation Committee ने ये बात अपने 10000 पन्ने की रिपोर्ट में बखूबी प्रकट कर रखी है। इसके आगे मुझे नही लगता अदालत का कीमती वक़्त और जाया करने की जरुरत है।"
सर्वज्ञ सिंह- "लग रहा है हमारे विद्वान सरकारी अधिवक्ता महोदय ने पूरी रिपोर्ट पढ़ ली है।"
सरकारी अधिवक्ता- "आपको कोई शक है Mr. नटवरलाल" 
(कोर्ट में हल्की हंसी की आवाज)
सर्वज्ञ सिंह (हल्की मुस्कान लिए) - "सुनवाई शुरू हुए अभी 5 मिनट भी नही हुए हैं और आप हमारा नाम भी भूल गए। खैर, तो आपने रिपोर्ट के पेज नम्बर 3455 के पैरा नम्बर 3 पर जरूर ध्यान दिया होगा।"
सरकारी अधिवक्ता - "बेटा नटवर, मैं कोई कंप्यूटर नही हूँ कि पुरी रिपोर्ट मुझे याद रहे। (अपने जूनियर से)- रिपोर्ट का वो भाग खोलो"
सर्वज्ञ सिंह (मन्द मुस्कराहट चेहरे पर लिए हुए) - "पर मुझे तो पूरी याद है, बहरहाल आप दिल छोटा न करे, औऱ जरा उस पैरा की लाइन कोर्ट को पढ़कर सुनाइये"
सरकारी अधिवक्ता (चिढ़ते हुए) - "कुछ ज्यादा ही गुमान है तुम्हे खुद पर, अच्छे अच्छो को यहां से रुलाकर रुखसत किया है मैंने बेटा। (रिपोर्ट की लाइन read करते हुए) ...Despite the fact he didn't use any inappropriate method in the Pre, Mains or Interview phases of examination that may be put under "Cheating" or "Malpractice", however his selection is Disputed and liable to be cancelled on the grounds similar to the one used against the winner of an Olympic Sport who is found guilty of Doping - तो इससे क्या, यही तो लिखा है कि इस एग्जाम में तुम्हारा चयन गलत है।"
सर्वज्ञ सिंह- "लग रहा है लॉ की क्लासेज के दौरान आप क्लास में कम और कैंटीन में ज्यादा रहें हैं जनाब। उसमे मेरा चयन "Wrong" नही "Disputed" लिखा है और ये भी कि मैं पूरे एग्जाम के दौरान किसी भी तरह की Cheating या Malpractice में संलिप्त नही रहा हूँ।"
सरकारी अधिवक्ता- "लेकिन Conclusion में स्पष्ट तौर पर तुम्हारा चयन गलत बताया गया है और फोरेंसिक मेडिकल रिपोर्ट भी इस तथ्य को साबित करती है कि तुम्हे इस परीक्षा में Undue Advantage मिला है।"
सर्वज्ञ सिंह- "वकील साहब ये कोर्ट केस है, बोर्ड एग्जाम की कॉपी नही जहां पहला और अंतिम पन्ना पढ़ के नम्बर दिया जाए।"







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