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Original Stories By Author (74): Sare Gama Pani

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 74: सारे गामा पानी

वर्ष 2027 में संविधान की नई उपधारा 352(C) संसद में ध्वनिमत से पारित कर दी गई औऱ इसके तुरंत बाद देश मे Water Emergency लागू हो गई। नहाने, कपड़ा धोने इत्यादि क्रियायों पर अनिश्चितकालीन पाबंदी लगा दी गई। पानी की खपत कम करने के लिए लोटा लेके खुले में शौच करना सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया। किसी का भी पेट खराब होने पर उसे तुरंत गोली मार देने के आदेश जारी कर दिए गए। जानवरो और गरीब होमो सेपियंस का भंजक आसवन करके पानी निकालने वाली औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो गईं। प्रेमी अपनी प्रेमिकाओं को Bislery औऱ Acquafina की महंगी बोतलें बतौर वैलेंटाइन डे गिफ्ट देने लगे । बैंकों ने भी इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए Water Loan की नई स्कीम शुरू कर दी। हालात यहां तक पहुंच गए कि रिश्वतें भी तब पानी की बोतलों में में ली जाने लगीं। 
इसी बीच एक होनहार विद्वान ने बेहद कम लागत में प्रदूषित पानी से स्वच्छ पेयजल बनाने की बेहतरीन तकनीक ईजाद कर ली और सम्बंधित मंत्री जी के पास पहुंच कर सभी टेक्नीकल और वैज्ञानिक अधिकारियों के समक्ष तकनीक का Demo दिया। सब लोग सन्तुष्ट हुए और उत्साहित भी।
"सर अब देश के लोगों को पानी की समस्या से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी" - विद्वान महोदय ने फरमाया। 
"वो सब तो ठीक है लेकिन इसमें तुम्हारा और देश का क्या फायदा होगा" - मंत्री जी के इशारे पर उनके PA ने संवाद जारी रखा। 
"फायदा - सर देश के गरीब लोगो को मुफ्त में या अत्यंत कम कीमत पर पानी मिलेगा, इससे बड़ा फायदा आज के समय मे औऱ क्या हो सकता है"
"वही तो मैं भी पूछ रहा हूँ, इससे तुम्हे और देश को क्या फायदा मिलेगा। फ्री की चीजों से देश को कोई फायदा नहीं होता young man। "
"तो मुझे क्या करना चाहिए" विद्वान महोदय को चीजे समझ आने लगी थीं।
"बस जो हम करे करने दो और तुम मौज काटो।" - इस बार मंत्री जी की आवाज ने डील पर फाइनल मुहर लगा दी थी।
3 महीने के अंदर Freeliance कम्पनी ने आधे tarriff पर देश वासियों को पानी मुहैया कराने वाली यूनिटें स्थापित कर दी और पानी के धंधे पर एकाधिकार जमा लिया। इधर देशवासियों की नजर में कम्पनी देव तुल्य हो गई, उधर मंत्री जी और अधिकारीयों की बल्ले बल्ले हो गई। रही बात विद्वान महोदय की तो उन्हें 3 लाख रुपये का रिसर्च फंड औऱ एक लैब मिल गई है जहां बैठ कर अब वो और खोजें कर सकते हैं। 

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नीलेश मिश्रा





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