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Article 498 A (Cruelty) - पत्नी प्रताड़ना का आरोप लगने पर क्या करे (In Hindi)

Cruelty (क्रूरता) क्या है
पत्नी के साथ उसके पति या पति के परिवार वालो द्वारा किया यह दुर्व्यवहार 
Cruelty IPC की धारा 498 A को 1983   में जोड़ा गया था इसी के साथ Indian Evidence Act की धारा 113A और IPC की धारा 198A को भी जोड़ा गया था | इस अपराध को Non Bailable (थाने से Bail नहीं मिलेगी - कोर्ट से मिल सकती है )  और Non Compoundable (जिनमे समझौते नही हो सकते पक्षकारो के मध्य) अपराध बनाया गया है जिसके अंतर्गत किसी स्त्री के पति या पति के रिश्तेदार (माता ,पिता,भाई, बहन) रिश्तेदारो में (by blood, by marriage ) निपटाए जाते है ।


Cruelty का अर्थ में  शारीरिक व मानसिक दोनो  तरह की Cruelty आतीं है। 

1. जानबूझकर (deliberately) - कोई ऐसा कार्य जिसकी कारण स्त्री आत्महत्या के लिए मज़बूर हों जाये या  उससे दहेज की।मांग करना ,उसे ताने मरना उसके जीवन ,किसी अंग कों गंभीर खतरे की संभावना हो 
2. किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी रिश्तेदार को किसी संपत्ति या  मूल्यवान संपत्ति की मांग की जाए इसके लिए उससे तंग करना कि उसका कोई रिश्तेदार ऐसी मांग को पूरा क्यों नही किया 

दहेज हत्या के बारे में उपधारणा:-
Evidence act sec-113A कोर्ट ये मान कर चलती है यदि किसी महिला की विवाह के 7 साल के अंदर आत्म्यहत्या की  हो तो उसके पति व उसके पति के परिवार को दोषी माना जाता है जब एक वो अपने को निर्दोष न साबित कर दे

दहेज हत्या की शिकायत किसके द्वारा की जा सकती है:-

U/s -198 A Cr.P.C. -  महिला या उसके किसी भी रिश्ते दर द्वारा की जा सकती है।
इस कानून को संविधान के article 14 ,20(2) का अतिक्रमण करने के कारण असंवैधानिक है  .देहज प्रतिषेध अधिनियम 1961 भी इन्ही मामलो स संबंधित था अतः एक ही विषय पे दो कानून मिलकर खतरे की स्थितियां पैदा कर देंगी परन्तु Delhi High Court ने इसे उलंघन न मानकर ये बताया की IPC 498A और दहेज प्रतिषेध अधिनियम में अंतर है क्योंकि इसमे दहेज की मांग करना ही दण्डनीय है क्रूरता होना आवश्यक नही है जबकि IPC-498A में पत्नी व उसके रिश्तेदारो से ऐसे सम्पति  की मांग जो क्रूरता पूर्वक की गई हो
IPC 304 B- दहेज हत्या व IPC 498A- क्रूरता में अंतर:- 
304B- मृत्यु विवाह के 7 वर्ष के अंदर होने पे दण्डनीय है
498A-अपने आप मे एक अपराध है

Note- यदि कोई व्यक्ति 304B के तहत दोषमुक्त हो जाता है तो भी वह 498A क्रूरता के ली दोषसिद्ध किआ जा सकता है।

Remedies ( बचाव )


इस कानून के दुरूपयोग बहुत बढ़ रहे हैं।  आइये जानते हैं कि ये इल्जाम लगने पर आप क्या कर सकते हैं |
इस कानून का  दुरुप्रयोग  रोकने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में राजेश शर्मा बनाम राज्य मामले में कुछ दिशा निर्देश जारी किये जिसका पूर्ण विवरण इस लिंक पर उपलब्ध है जिसके प्रमुख अंश इस प्रकार हैं :-
1. Police अब direct arrest नही कर सकतीं है।
2.महिला की शिकायत सही है या नही इसकी जांच होगी
3. हर जिले में एक 3 member वाली "Family welfare comitee "होगी जो 30 दिन में जाच को निपतायेगी
But यदि महिला घायल या मृत्यु हो तो ये rule apply नही होंगे
4.समिति की रिपोर्ट को मानने के लिए जाच कर रहे मजिस्ट्रेट  बाध्य नही है
7. जब तक commitee की रिपोर्ट नही आती तब तक अभियुक्त को बाहर आने जाने से रोक नही जा सकता न ही उसका पासपोर्ट जब्त किया जाएगा उसकी पेशी भी video confrensing के माध्यम से हो सकेगी

2015 की रिपोर्ट के अनुसार 12 हजार 107 मामलो में 7458 मामले झुठे पाए गए 
सजा; min- 3 year ,max-7 year with fine

आप कैसे खुद को झूठे केस से बचा सकते है 

1. यदि आपको ऐसा लगता है कि आप पर आपकी पत्नी द्वारा या आपके परिवार पे इस तरह के आरोप लगाए जा सकते है तो तुरंत आपको वकील से कानूनी सलाह लेनी चाहिए क्योंकि जितनी देर होगी उतना आपका बचाव कमजोर होता जाएगा

2. ऐसे मामले में कभी भी आप भागने का प्रयास बिल्कुल ही न करे आप केस या पुलिस से बचने के लिए फ़ौरन अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए apply करे


2(A). आप F.I.R Quash (निरस्त) करवाने के लिए उच्च न्यायालय में U/s 482 Cr.P.C. Application डाल सकते हैं और Interim-Relief के लिए अपने वकील के माध्यम से प्रार्थना कर सकते हैं।
 

3.अपने favour में साक्ष्य collect किजये चाहे वो जिस भी प्रकार हो वो कोई व्यक्ति ही हो जो आपके favour में गवाही दे यदि किस व्यक्ति आपके पास के रिश्तेदारी न हो तो और भी अच्छा होगा

4. गवाह विश्वसनीय ही चुनिये जो आपका लगे कि वो बाद में आपके खिलाफ न हो जाए क्योंकि आमतौर पे ऐसा कोर्ट में देखा जाता है कि गवाह कोर्ट में मुकर जाता है जिसको Hostile Witness कहते है 
5.इस दौरान यदि पत्नी आपको मिलने के लिए कहे तो आप मिलने को avoid करे अकेले पत्नी या उसके परिवार के सदस्य स न मिले ये आपके लिए भारी पड़ सकता है..... यदि मिलना हो भी तो फिर कोर्ट के संज्ञान में इस बात को लाये और कोर्ट से एक Special Officer नियुक्त करवाये उसकी उपस्थिति में ही मिले

6.यदि आपको पत्नी की तरफ से या किसी अनजान नंबर से फ़ोन या धमकी मिलती है तो फॉरन इसकी सूचना पुलिस को दीजिये ओर उसकी कॉपी बाद में आप कोर्ट में दिख भी सकते है
7. और जरूरत पड़े तो आप केस कर सकते है केस करने से न डरे क्योंकि हो सकता है बाद में आपको इससे ज्यादा नुकसान हो तो आप अपने को बचाने के लिए खुद ही केस करे

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Article By Advocate Suparna Mishra

और हाँ FIR / केस झूठा साबित हो भी गया तो रानी साहिबा को खाली जुर्माना ही भरना पड़ेगा।  इसलिए भैया धर्मपत्नी की सारी बात मानते रहिये और सेवा करते रहिये क्योकि भैया कोर्ट कचहरी में खर्चा बहुत हो जाता है।


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