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Original Stories By Author (39): FIR

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 39:
श्रीमान लखनऊ इलाहाबादी नैनो टेक्नोलॉजी के माहिर इंजीनयर थे। कालान्तर में उन्होंने 200-300 नैनो मीटर व्यास की कुछ गोल मशीन तैयार की जो अपने ऊपर आने वाली Electromagnetic Radiation (प्रकाश किरणे) को उनकी फ्रीक्वेंसी और Intensity के आधार पर Radio Waves में बदल देती थी जो वातावरण में broadcast हो जाते थे जिसे उनकी लैब का सुपरकंप्यूटर sattellite या टावर के माध्यम से data ग्रहण करके वापस प्रकाश किरणों में बदल कर रिकॉर्ड कर लेता था। तो इस तरह की हजारो नैनो मशीन्स पूरे देश मे फैला कर वो किसी भी जगह किसी भी समय हो रही घटना को देख या रिकॉर्ड कर सकते थे वो भी बिना किसी को पता चले। और भइया जी ने टेस्टिंग करने के लिए यही किया भी। पता चला शादीशुदा बड़े भैया Tinder पर स्वाइप करते मिले। इधर उनका बेस्ट फ्रेंड उनकी ही item की फेसबुक प्रोफाइल चेक करते दिख गया। अचानक उन्हें एक रसूखदार सज्जन धारा 302 ताजीराते हिन्द (IPC) के अंतर्गत अपराध करते हुए दिखे। भाई साहब के अंदर का राष्ट्रभक्त नागरिक जाग उठा और वीडियो यूट्यूब पे डाल के चल दिये थाने FIR कराने। वहां जा के पता चला कि रिपोर्ट उस थाने में दर्ज होगी जहां क्राइम हुआ । भईया जी ट्रैन पकड़ के जनरल डिब्बे में लटक कर तुरंत 200 Km दूर सम्बंधित थाने पहुंचे और सबूत दिखाया। फिर पहले तो भइया जी कूटे गए और फिर निजता का उल्लंघन और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर जेल में ठेल दिए गए। इधर अगले दिन उनके खुद के विभाग में बिना station leave लिए बाहर जाने के कारण इन्क्वायरी सेट अप हो गयी। अंततः भाई साहब के ऊपर फाइनल चार्जशीट में सरकारी फण्ड और संसाधनों का निजी उद्देश्यों हेतु दुरुपयोग, समाज मे द्वेष और अशांति फैलाने की कोशिश औऱ IT Act लगाकर सुनवाई शुरू हुई। क्या काले, क्या खाकी और क्या सफेद, किसी भी पोशाक धारी को उनकी टेक्नोलॉजी समझ नही आई और तब विदेशी सहायता प्राप्त करने की धारा भी जोड़ दी गई क्योंकि सभी के अनुसार इस तरह की चीजें तो केवल चीन या अमेरिका वाले ही बना सकते थे। Vedio के लिए ये तर्क सामने आया कि इसकी सत्यता कानून के दायरे में सत्यापित नही की जा सकती। बहरहाल 2 साल बाद 1 साल की सजा का फरमान आया और भाई साहब रिहा हुये। बाहर आते ही दरवाजे पे अमेरिका के एजेंट मिल गए और तबसे वे बतौर वैज्ञानिक वहीं बस गए। और रोज किसी भारतीय चैनल पर Brain Drain पर बहस देख कर हंसा करते है।
--नीलेश मिश्रा

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